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Doomsday Fish: क्या है ये डूम्स डे फिश जिसे मैक्सिको के समुद्र तट पर देखा गया और जिसे लेकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इतने डरे हुए हैं? डूम्सडे फिश और आपदा का क्या है संबंध? क्या कहता है इतिहास?

 

Doomsday fish

डूम्सडे फिश: गहरे समुद्र का रहस्यमयी संकेत

परिचय

समुद्र की गहराइयों में ऐसे कई रहस्यमयी जीव पाए जाते हैं, जिनके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। इनमें से एक जीव है डूम्सडे फिश जिसे आमतौर पर ओअरफिश (Oarfish) के नाम से जाना जाता है। यह मछली वैज्ञानिकों और आम लोगों के लिए हमेशा से रहस्य का विषय रही है। कई संस्कृतियों में इसे भूकंप, सुनामी और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का पूर्व संकेतक माना जाता है। इस लेख में हम डूम्सडे फिश के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे कि यह मछली वास्तव में कितनी रहस्यमयी है।

डूम्सडे फिश क्या है?

Doomsday fish


डूम्सडे फिश, जिसे वैज्ञानिक रूप से Regalecus glesne कहा जाता है, दुनिया की सबसे लंबी हड्डीदार मछली मानी जाती है। यह आमतौर पर 10 से 15 फीट लंबी होती है, लेकिन कुछ मामलों में यह 50 फीट तक लंबी पाई गई है। इसका शरीर पतला, रिबन जैसा और सिल्वर रंग का होता है, जिसमें लाल रंग के पंख होते हैं। इस मछली को बहुत कम देखा जाता है क्योंकि यह आमतौर पर समुद्र की गहराई में 200 से 1000 मीटर की गहराई में पाई जाती है।

इसका नाम ‘डूम्सडे फिश’ क्यों पड़ा?

डूम्सडे फिश का नाम उसके रहस्यमयी स्वभाव और उससे जुड़ी मान्यताओं के कारण पड़ा। जापान, फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसी जगहों पर यह मान्यता है कि यदि ओअरफिश समुद्र के किनारे आ जाए, तो यह किसी प्राकृतिक आपदा, विशेष रूप से भूकंप या सुनामी का संकेत हो सकता है।

इस मान्यता के पीछे कई ऐतिहासिक घटनाएं भी हैं:

  1. 2011 जापान सुनामी और भूकंप – सुनामी से कुछ समय पहले जापान के समुद्री तटों पर कई ओअरफिश मृत पाई गई थीं।
  2. 2020 में फिलीपींस में ओअरफिश दिखी – कुछ ही हफ्तों बाद वहां भूकंप आया।
  3. 2023 में ताइवान में ओअरफिश दिखने के बाद भूकंप आया – इससे यह मान्यता और मजबूत हुई।

हालांकि वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध नहीं हो सका है कि ओअरफिश और भूकंप के बीच सीधा संबंध है, लेकिन स्थानीय समुदायों में यह धारणा बनी हुई है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिकों का मानना है कि ओअरफिश आमतौर पर समुद्र की गहराइयों में रहती हैं और कभी-कभी किसी बीमारी, चोट, या पानी के तापमान में बदलाव के कारण सतह पर आ जाती हैं। भूकंप से पहले समुद्र के अंदर प्लेटों में हलचल होती है, जिससे पानी के दबाव में बदलाव आ सकता है। यह संभव है कि ओअरफिश इस बदलाव को महसूस करके सतह पर आ जाए, लेकिन इस पर अभी तक ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिले हैं।

कुछ वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि यह सिर्फ एक संयोग हो सकता है कि जब ओअरफिश समुद्र किनारे दिखती हैं, तो उसके बाद भूकंप आता है। हालांकि, इस पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

ओअरफिश का पर्यावरणीय महत्व

  1. समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान – ओअरफिश समुद्र के खाद्य श्रृंखला का हिस्सा हैं। वे प्लवक, छोटे समुद्री जीव और स्क्विड खाते हैं।
  2. गहरे समुद्र की जानकारी देने में सहायक – इनका अध्ययन करके वैज्ञानिक समुद्र की गहराइयों में होने वाले पर्यावरणीय बदलावों को समझ सकते हैं।
  3. मानव जीवन के लिए चेतावनी संकेतक – यदि यह सिद्ध हो जाता है कि ओअरफिश वास्तव में भूकंप से पहले समुद्र की सतह पर आ जाती हैं, तो इसे एक प्राकृतिक चेतावनी संकेतक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

लोक मान्यताएं और मिथक

कई संस्कृतियों में ओअरफिश को लेकर दिलचस्प कहानियां प्रचलित हैं:

  • जापान में इसे "Ryugu no Tsukai" यानी "समुद्र के राजा का दूत" कहा जाता है।
  • फिलीपींस में इसे "भूकंप की दूत" माना जाता है।
  • यूरोप और अमेरिका में इसे कभी-कभी "समुद्री ड्रैगन" कहा जाता है क्योंकि इसका आकार और हरकतें रहस्यमयी होती हैं।

निष्कर्ष

डूम्सडे फिश यानी ओअरफिश एक अद्भुत और रहस्यमयी समुद्री जीव है। यह समुद्र की गहराइयों में रहती है और बहुत कम दिखाई देती है। हालांकि इसके भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं से जुड़े होने की कोई ठोस वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है, फिर भी यह मान्यता कई देशों में प्रचलित है।

भविष्य में, वैज्ञानिक शोध इस बात को स्पष्ट कर सकते हैं कि क्या ओअरफिश सच में प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी कर सकती है या यह सिर्फ एक संयोग है। लेकिन इतना जरूर है कि यह मछली समुद्र के रहस्यों को समझने में हमारी मदद कर सकती है।

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